موجز مضمون الأناشيد
مع بيان أرقام الأبيات
الأنشودة الأولى: مقدمة الكوميديا
| يفيق دانتي فيجد نفسه ضالًّا في غابة موحشة، رمز الدنيا والخطيئة. | (١–…) |
| يرى جبلًا تعلوه أشعة الشمس، رمز الأمل. | (١٣–…) |
| يهدأ خوفه قليلًا. | (٢٠–…) |
| صورة الخائف الذي ينجو من خطر البحر وهو لاهث الأنفاس، وينظر إلى اليمِّ الرهيب. | (٢٢–٢٤) |
| تظهر فهدة متحفزة رقطاء اللون. | (٣١–…) |
| يبعث الصباح في دانتي الرجاء والأمل. | (٣٧–٤٣) |
| خرج لدانتي أسد جائع غاضب. | (٤٦–٤٨) |
| بدت له ذئبة ضامرة مليئة بالشهوات. | (٤٩–٥٣) |
| دانتي يفقد الأمل في بلوغ الجبل، ويبكي بقلبه ويحزن. | (٥٤–٥٧) |
| دانتي يرجع القهقرى. | (٥٨–…) |
| ظهر له شبح أبحُّ الصوت، فاستنجد به. | (٦٢–…) |
| يخبره الشبح عن موطنه ومولده وحياته. | (٦٧–…) |
| يبتهج دانتي عندما يتبين شخصية فرجيليو، ويشيد بعلمه وفضله. | (٧٩–…) |
| يشير فرجيليو باتباع طريق آخر لبلوغ السعادة. | (٩٢–…) |
| يذكر فرجيليو السلوقي الذي سيُجهِز على الوحش، وينقذ إيطاليا المهيضة. | (١٠١–…) |
| إشارة إلى كميلا وأويريالوس وتورنوس ونيزوس، الذين ماتوا في سبيل إيطاليا. | (١٠٧-١٠٨) |
| يقول فرجيليو إنه سيكون دليل دانتي في الجحيم ومعظم المطهر. | (١١٢–…) |
| وستقوده في السماء روح أخرى (بياتريتشي). | (١٢١–…) |
| يسير فرجيليو، ويمضي دانتي في أعقابه. | (١٣٦) |
الأنشودة الثانية: مقدمة الجحيم
| زوال النهار وحلول الليل. | (١–…) |
| يستنجد دانتي بربَّات الشعر وبعبقريته. | (٧–…) |
| يشك دانتي في مقدرته على احتمال مشقات الرحلة، ويسأل فرجيليو أن يختبر طاقته قبل الشروع فيها. | (١٠–…) |
| ويقول إنه ليس إينياس ولا بولس حتى يُقدِم على مثلها. | (٣١–…) |
| يُؤثِر دانتي العدول عن الرحلة. | (٣٧–…) |
| يعمل فرجيليو على إزالة مخاوفه. | (٤٣–…) |
| يقص فرجيليو عليه كيف هبطت بياتريتشي من السماء، وسألته أن يهبَّ لنجدته عندما تعرض للخطر في الشاطئ القفر، وكانت تخشى أن تكون متأخرة في العمل على إنقاذه. | (٥٢–…) |
| الحب هو الذي دفعها لإنقاذ دانتي. | (٧٠–…) |
| قال فرجيليو إنه سأل بياتريتشي كيف هبطت إلى هذه الهاوية. | (٨٢–…) |
| شرحت بياتريتشي لفرجيليو كيف تألمت ماريا في السماء لِما صادف دانتي من الصعاب، فنادت لوتشيا لكي تذهب إلى بياتريتشي، وسألتها الإسراع إلى نجدة دانتي. | (٩٤–…) |
| بكت بياتريتشي وهو تقص الأمر على فرجيليو. | (١١٦-١١٧) |
| دانتي يستمع ويسكت ويفكر. | (١٢١–…) |
| صورة انحناء الأزاهير تحت صقيع الليل، ثم تفتُّحها في الصباح عندما تكلِّلها أشعة الشمس. | (١٢٧–١٢٩) |
| استرجع دانتي رباطة الجأش. | (١٣٠–…) |
| رجع دانتي إلى رغبته في القيام بالرحلة. | (١٣٦–١٣٨) |
| يسير الشاعران تحدوهما رغبة واحدة. | (١٣٩–…) |
| ينادي دانتي فرجيليو ﺑ «يا دليلي» و«سيدي» و«أستاذي»، ويسيران معًا. | (١٤٠–١٤٢) |
الأنشودة الثالثة: مدخل الجحيم، أو أنشودة كارونتي
| باب الجحيم طريق العذاب والألم الدائم. | (١–…) |
| أيها الداخلون اطرحوا عنكم كل أمل. | (٩–…) |
| فرجيليو يشجع دانتي ويشد من عزمه، ويهدئ من روعه. | (١٣–…) |
| يسمع دانتي بكاء وصراخًا عاليًا فيبكي من التأثر. | (٢٢–…) |
| صرخات رهيبة، وأصوات صماء عالية، وصورة ذرات الرمل في زوبعة. | (٢٥–…) |
| دانتي يستفسر عما يسمع. | (٣٢-٣٣) |
| يقول فرجيليو إن هذه نفوس من لم ينالوا في الدنيا ثناء ولا خزيًا؛ لأنهم لم يفعلوا خيرًا ولا شرًّا، وطردتهم السماء، ولا تقبلهم الجحيم. | (٣٤–…) |
| ليس لهؤلاء في الموت أمل. | (٤٦–…) |
| يقول فرجيليو لدانتي دعنا من ذكرهم، ولكن انظر واذهب. | (٥١) |
| رأى دانتي علمًا يجري بسرعة، ووراءه سيل من الهالكين. | (٥٢–…) |
| جماعة المكروهين من الله ومن أعدائه. | (٦١–…) |
| تلسعهم الزنابير والذباب، وتسيل الدماء على وجوههم. | (٦٤–…) |
| دانتي يستفسر عن الهالكين أمام ضفة نهر أكيرونتي. | (٧٢–…) |
| يقول فرجيليو إنه سوف يعرف كل شيء. | (٧٦–…) |
| يشعر دانتي بالخجل ويسكت. | (٧٩–٨١) |
| كارون حارس الجحيم يصيح بالشاعرين. | (٨٢–…) |
| فرجيليو يهدئ من غضب كارون. | (٩٤–…) |
| يلعن الآثمون الله والبشر والمكان والزمان. | (١٠٣–١٠٥) |
| يعبر الهالكون في زورق كارون. | (١٠٦–…) |
| صورة تساقط أوراق الشجر في الخريف. | (١١٢–…) |
| فزع دانتي عند اهتزاز السهل المظلم. | (١٣٠–…) |
| ريح عاتية وبرق ملتهب يُفقِدان دانتي مشاعره، فيسقط على الأرض | (١٣٣–…) |
الأنشودة الرابعة: أنشودة الذين ماتوا دون تعميد، أو أنشودة اللمبو
| دانتي يستيقظ بعنف وقد تولاه الفزع، ويتأمل فيما حوله. | (١–…) |
| دانتي على الحافة من وادي الهاوية الأليم في الحلقة الأولى. | (٧–…) |
| يظن دانتي أن فرجيليو قد أخذه الخوف. | (١٦–…) |
| قال فرجيليو إنه شعر بالإشفاق على المعذبين؛ ولذلك شحب لونه. | (١٩–…) |
| حشد من الأطفال والنساء والرجال الذين لم ينالوا التعميد. | (٢٥–…) |
| يشرح فرجيليو حالهم. | (٣١–…) |
| يعيشون في شوق لا يحدوه أمل. | (٤٠–…) |
| دانتي يأسى ويحزن. | (٤٣) |
| يقول فرجيليو إن المسيح هبط إلى اللمبو وأخرج منه بعض الأرواح، مثل آدم وقابيل وموسى وداود وراحيل. | (٥٢–…) |
| يرى دانتي عن بُعد عظماء العالم القديم. | (٦٧–…) |
| يقول هوميروس: «مجدوا الشاعر الأعظم»، ويقصد فرجيليو. | (٧٩–…) |
| هوميروس وهوراس وأوفيديوس ولوكانوس. | (٨٣–…) |
| يَعُد دانتي نفسه واحدًا منهم. | (٩١–…) |
| يتلقَّونه بالترحاب، وأصبح دانتي السادس بين هؤلاء الحكماء. | (٩٧–١٠٢) |
| الاقتراب من قلعة العظماء في العالم القديم. | (١٠٣–…) |
| نظرات الحكماء الهادئة، وكلامهم النادر الرقيق. | (١١٢–١١٤) |
| يرى دانتي بعض شخصيات الميتولوجيا اليونانية؛ إليكترا، هيكتور، وإينياس … | (١٢١–…) |
| ويرى شخصيات تاريخية؛ قيصر، بروتس، تاركوينو، صلاح الدين … | (١٢٣–…) |
| ويشهد أرسطو وسقراط وأفلاطون. | (١٣١–…) |
| ويرى علماء وفلاسفة يونان؛ ديموقريطس، طاليس، زينون … | (١٣٦–…) |
| وابن سينا وابن رشد. | (١٤٣-١٤٤) |
| بلغ دانتي مكانًا ليس به ما يضيء. | (١٥١) |
الأنشودة الخامسة: أنشودة من ارتكبوا خطايا الجسد، أو أنشودة فرنتشسكا
| الهبوط إلى الحلقة الثانية، ورؤية مينوس قاضي الخطايا. | (١–…) |
| يرسل مينوس المعذبين إلى مواضعهم في الجحيم. | (٧–…) |
| مينوس يُحذر دانتي، وفرجيليو يسكته. | (١٦–…) |
| العاصفة الجهنمية التي لا تهدأ أبدًا ترهق المعذبين. | (٢٥–…) |
| صورة الزرازير تطير في الشتاء، والكراكي تشدو بصوتها الباكي. | (٤٠–…) |
| بعض الشخصيات؛ سميراميس، ديدو، كليوباترا، هيلانة، أخيل، باريس، تريستانو. | (٥٢–٦٧) |
| فرنتشسكا دا ريميني وباولو مالاتستا. | (٧٣–…) |
| يدعوهما دانتي إليه برقة وعطف. | (٨٠-٨١) |
| صورة الحمام وهو يطير إلى العش الحبيب. | (٨٢–٨٤) |
| فرنتشسكا تُبادل دانتي العطف، وتتمنى أن يستجيب الله لدعائها حتى تدعو له بالسلام. | (٨٨–…) |
| تذكر مكان ميلادها. | (٩٧–…) |
| تتكلم فرنتشسكا عن الحب الذي يشغل القلب سريعًا، والذي لا يُعفي المحبوب من أن يحب حبيبه، والذي قادهما معًا إلى موت واحد. | (١٠٠–١٠٦) |
| وتقول إن قابيل ينتظر روح قاتلهما. | (١٠٧) |
| دانتي يفكر ويطرق رأسه. | (١٠٩–١١١) |
| يتساءل دانتي عما أدى بهما إلى هذا المصير. | (١١٢–١١٤) |
| ويقول لفرنتشسكا إن آلامها تستقطر منه الدموع. | (١١٥–١١٧) |
| ويسأل كيف كشفا عن حبهما. | (١١٨–١٢٠) |
| تقول فرنتشسكا إنها ستبكي وتتكلم. | (١٢٦) |
| كانا يقرآن يومًا قصة جينفرا ولانتشلوتو. | (١٢٧–…) |
| القُبلة. | (١٣٦) |
| لم يقرآ منذ ذلك اليوم شيئًا. | (١٣٨) |
| كان باولو يبكي بمرارة. | (١٣٩-١٤٠) |
| دانتي يفقد الوعي، ويهوي كجسم ميت إلى الأرض. | (١٤١-١٤٢) |
الأنشودة السادسة: أنشودة النهمين، أو أنشودة تشاكو
| أفاق دانتي من غشيته فوجد عذابًا جديدًا ومعذبين جددًا. | (١–٦) |
| الحلقة الثالثة حلقة المطر والبرد والثلج. | (٧–١٢) |
| تشيربيروس حارس هذه الحلقة يعوي بأفواهه الثلاثة فوق المعذبين. | (١٣–١٨) |
| يسلخهم الوحش ويمزقهم، فيتدرَّعون بجنب عن جنب. | (١٧–٢١) |
| يفغر تشيربيروس أفواهه، ولكن فرجيليو يسد حلوقه بالتراب. | (٢٢–٢٧) |
| صورة كلب جائع يلتهم الطعام. | (٢٨–…) |
| ينهض شبح تشاكو ليحادث دانتي. | (٣٧–…) |
| لم يتعرف دانتي عليه. | (٤٣–…) |
| يقول إنه مواطن له، وإن مدينته (فلورنسا) مليئة بالحسد. | (٤٩–…) |
| يحزن دانتي من أجله ويبكي. | (٥٨-٥٩) |
| يستفسر دانتي عن مصائر فلورنسا وشعبها. | (٦٠–٦٣) |
| يروي تشاكو طرفًا من تاريخ فلورنسا، ويتنبأ بسفك الدماء، وسقوط البيض وارتفاع شأن السود. | (٦٤–…) |
| العادلون قلائل، ولا يُسمع لهم، والغطرسة والحسد والجشع أصابوا فلورنسا بالويلات. | (٧٣–٧٥) |
| استفسر دانتي عن بعض أبطال فلورنسا، وطلب أن يعمل على رؤيتهم؛ فاريناتا، تيجيايو، روستيكوتشي … | (٧٩–٨٤) |
| أجابه تشاكو بأنهم هبطوا إلى القاع. | (٨٥–…) |
| ويطلب إلى دانتي أن يحمل ذكراه إلى الأحياء. | (٨٨–…) |
| يسأل دانتي فرجيليو هل يزيد في يوم القيامة إحساس المعذبين بالألم عندما يقتربون من الكمال. | (١٠٣–…) |
| يحيله فرجيليو إلى أرسطو. | (١٠٦–…) |
| الوصول إلى بلوتوس. | (١١٥) |
الأنشودة السابعة: أنشودة البخلاء والمبذرين وسريعي الغضب والكسالى
| صرخ بلوتوس حارس الحلقة الرابعة بصوته الأجش. | (١–…) |
| يزيل فرجيليو مخاوف دانتي. | (٤–…) |
| يُسكت فرجيليو الوحش بلوتوس. | (٧–…) |
| سقط الوحش كما تسقط الأشرعة بقوة الريح. | (١٣–١٥) |
| هبط الشاعران إلى الحلقة الرابعة. | (١٦–…) |
| صورة الموج الصاخب عند كاريدي. | (٢٢–…) |
| البخلاء والمبذرون يدفعون أثقالًا من الصخر بقوة صدورهم. | (٢٥–…) |
| يلتقي المعذبون ويتقارعون، ثم يفترقون على الدوام. | (٢٨–…) |
| يستديرون ويعودون إلى اللقاء التالي. | (٣٤–…) |
| يستفسر دانتي عن هؤلاء، وعن حليقي الرأس على اليسار. | (٣٧–…) |
| قال فرجيليو إنهم جميعًا قد انحرفت عقولهم، وحليقو الرأس كانوا قساوسة وبابوات وكرادلة. | (٤٠–…) |
| لا يستطيع دانتي التعرف عليهم. | (٤٩–…) |
| فقدوا الدنيا لأنهم أنفقوا المال دون تقدير. | (٥٨–…) |
| لا يستطيع ذهب الدنيا أن يريح نفسًا واحدة من العناء الذي بذلته في سبيله. | (٦٤–٦٦) |
| يسأل دانتي كيف يملك الحظ خيرات الأرض بين براثنه. | (٦٧–٦٩) |
| يندِّد فرجيليو بالجهل الذي يَشين البشر، ويقول إن الحظ خاضع لله الذي يوزع متاع الدنيا، ويغيِّره من قوم إلى قوم، ومن أسرة لأخرى. | (٧٠–…) |
| ولا يقدر أحد على مناهضة الحظ. | (٨٥–…) |
| الوصول إلى نهر استيكس. | (١٠٠–…) |
| سريعو الغضب يتضاربون بالأيدي والصدور والأقدام وقد غمرهم طين مستنقع استيكس. | (١٠٩–…) |
| الكسالى تحت سطح الماء تتحشرج الكلمات في حناجرهم. | (١١٨–١٢٦) |
| وصل الشاعران إلى أسفل برج. | (١٣٠) |
الأنشودة الثامنة: أنشودة الغاضبين والخاملين، أو أنشودة فيليبو أرجنتي
| رأى دانتي شعلتين من نار في أعلى البرج، ولمح إشارات من بعيد. | (١–…) |
| يستفسر دانتي عن ذلك من فرجيليو بحرِ كل علم. | (٧–…) |
| صورة سهم يُقذَف، وصورة قارب ينطلق فوق الماء بسرعة فائقة. | (١٣–…) |
| فليجياس حارس الحلقة الخامسة يأتي نحو الشاعرين بهذه السرعة ويصيح بهما. | (١٦–…) |
| فرجيليو يسكته، ويحمل دانتي إلى القارب. | (١٩–…) |
| يظهر فيليبو أرجنتي الفلورنسي عدو دانتي. | (٣١–…) |
| حاول أرجنتي أن يقلب القارب، ولكن فرجيليو دفعه إلى الوراء. | (٤٠–٤٢) |
| فرجيليو يقبِّل دانتي ويبارك مَن حملتْه جنينًا. | (٤٣–٤٥) |
| كان أرجنتي متغطرسًا في الدنيا، وكم من الناس يحسبون أنفسهم فيها ملوكًا عظامًا، وسوف يُغمَرون هنا كالخنازير في الوحل! | (٤٦–…) |
| هاجم سائر المعذبين أرجنتي، ورضي دانتي بذلك وشكر الله. | (٥٨–…) |
| قال فرجيليو إنهما يقتربان من مدينة ديس. | (٦٧–…) |
| تبدو حمراء بفعل النيران. | (٧٠–…) |
| أكثر من ألف شيطان فوق أسوار ديس يصيحون لمرأى الشاعرين. | (٨٢–…) |
| يطلب الشياطين قدوم فرجيليو بمفرده للتفاهم معه. | (٨٨–…) |
| دانتي يتولاه الخوف لأن فرجيليو سيتركه وحيدًا، ويطلب العودة من حيث أتيا. | (٩٤–…) |
| فرجيليو يهدئ من روعه، ويطلب إليه أن يسرِّي عن روحه الواهنة ويغذيها بالأمل الطيب. | (١٠٣–…) |
| يذهب الأب الحبيب، ويتركه وحيدًا يساوره الشك والقلق. | (١٠٩–١١١) |
| دخل الشياطين مدينة ديس وأغلقوا أسوارها. | (١١٢–…) |
| تظهر على فرجيليو علائم فقدان الثقة، ولكنه يهدئ من روع دانتي ويطمئنه. | (١١٨–…) |
| وسوف يأتي من ستُفتح له أبواب مدينة ديس. | (١٣٠) |
الأنشودة التاسعة: أنشودة رسول السماء
| أخفى فرجيليو لونه الشاحب عندما رأى علائم الخوف على وجه دانتي. | (١–…) |
| صورة من يحرص على السمع عندما تتعذر الرؤية بسبب الظلام والضباب. | (٤–٦) |
| يعاود فرجيليو الشكُّ. | (٧–…) |
| يتولى دانتي الخوفُ لما لاحظه على وجه فرجيليو من التغير. | (١٠–…) |
| يتساءل دانتي عمن هبطوا من قبل إلى أعماق الهوة البائسة. | (١٦–…) |
| فرجيليو يطمئن دانتي بأنه يحسن معرفة الطريق. | (١٩–…) |
| ظهور ثلاث جنيات جهنميات فوق الأسوار العالية؛ ميجيرا، وإلكتو، وتيزيفوني. | (٣٤–…) |
| الجنيات تنادين ميدوزا. | (٥٢–…) |
| يطلب فرجيليو إلى دانتي أن يدور إلى الوراء ويديره بنفسه، ويغلق عينيه حتى لا يبصر ميدوزا، ولا يتحول إلى حجر. | (٥٥–…) |
| دوي رهيب يضرب سطح المستنقع. | (٦٤–٦٦) |
| صورة الريح العاتية التي تحطم الأشجار، وتمضي وفي مقدمتها زوبعة من التراب، وتدفع الوحوش والرعاة إلى الهرب. | (٦٧–٧٢) |
| يختفي الشياطين كاختفاء الضفادع أمام الأفعى وغطسها إلى قاع المستنقع. | (٧٦–…) |
| يتبين دانتي رسول السماء، فيلزم الصمت وينحني أمامه. | (٨٥–…) |
| فتح رسول السماء باب مدينة ديس بضربة من صولجانه. | (٨٨–…) |
| ندَّد الرسول بصلف الشياطين، وبوقوفهم في وجه إرادة السماء. | (٩١–٩٩) |
| يعود رسول السماء وهو في صورة الرجل الذي تستحثه مسائل هامة. | (١٠٠–…) |
| يدخل الشاعران مدينة ديس في الحلقة السادسة. | (١٠٦–…) |
| بها مقابر على صورة مقابر أرليس عند الرون، ومقابر بولا عند خليج كارنارو الذي يحدد إيطاليا. | (١٠٩–…) |
| يرى دانتي قبور الهراطقة بين ألسنة اللهب ويستفسر عمن بداخلها. | (١١٨–…) |
| أجابه فرجيليو أن كل قرين من الهراطقة مع قرينه مدفون. | (١٢٧–…) |
| مرور الشاعرين بين المعذبين والأسوار العالية. | (١٣٣) |
الأنشودة العاشرة: أنشودة الهراطقة، أو أنشودة فاريناتا دلي أوبرتي
| يسير الشاعران بين سور مدينة ديس وقبور المعذبين. | (١–…) |
| يطلب دانتي معرفة من بداخل القبور. | (٤–…) |
| قبور أبيقور وأتباعه. | (١٠–…) |
| يعبِّر فرجيليو عن إدراكه لما يدور بخَلَد دانتي. | (١٦–١٨) |
| يريد دانتي أن يكون مقتصدًا في كلامه. | (١٩–٢٢) |
| فاريناتا يخاطب دانتي وقد عرف من كلامه أنه مواطن فلورنسي. | (٢٢–…) |
| يشعر دانتي بالخوف. | (٢٩-٣٠) |
| فاريناتا منتصب القامة، وسيراه دانتي كله من الوسط إلى الرأس. | (٣١–٣٦) |
| فرجيليو يدفع دانتي إلى أسفل القبر، ويطلب إليه أن تكون كلماته موزونة. | (٣٧–٣٩) |
| ينظر فاريناتا إلى دانتي بازدراء، ويسأله عن أصله. | (٤٠–٤٢) |
| غضب فاريناتا عندما عرف أن دانتي من الأعداء. | (٤٣–…) |
| يقابل دانتي عنف فاريناتا بالمثل. | (٤٩–…) |
| يخرج كافالكانتي من القبر إلى جانب فاريناتا باحثًا عن ابنه جويدو. | (٥٢–…) |
| لم يجده فبكى بكاء الأب الذي فقد ابنه. | (٥٨–٦٠) |
| ظن كافالكانتي أن ابنه قد مات، ولما تباطأ دانتي في الرد هبط داخل القبر ولم يعد للظهور أبدًا. | (٦٧–…) |
| ظل فاريناتا واقفًا كالتمثال غير آبه لما حوله. | (٧٣–…) |
| يعود فاريناتا إلى الكلام، ويتنبأ لدانتي بما سيناله وحزبه من الويلات. | (٧٦–…) |
| القتال والدماء أحفظتْ قلوبَ الجلف على الجبلين. | (٨٥–…) |
| قال فاريناتا إنه لم يكن وحده في قتال فلورنسا، ولكنه دافع وحده عنها عندما أراد الجبلين هدمها. | (٨٨–…) |
| يدعو دانتي لفاريناتا بالسلام لوطنيته. | (٩٤–…) |
| يفسر فاريناتا لدانتي أن أرواح الموتى ترى الماضي والمستقبل وليس الحاضر. | (١٠٠–١٠٨) |
| يشعر دانتي بالندم لأنه أساء دون قصد إلى كافالكانتي. | (١٠٩–…) |
| حاول فرجيليو أن يزيل عن دانتي ما ساوره من خوف. | (١٢١–…) |
| وقال إن من ترى عينُها الجميلة كل شيء (بياتريتشي) سوف تنبئه عن رحلة حياته. | (١٣٠–…) |
الأنشودة الحادية عشرة: أنشودة التقسيم الخلقي للجحيم
| شاطئ صخري مرتفع في صورة دائرة. | (١–…) |
| قبر البابا أناستاسيوس. | (٧–…) |
| أشار فرجيليو بالتأخر قليلًا حتى يعتاد إحساسهما كريه الروائح. | (١٠–…) |
| فرجيليو يشرح أقسام الجحيم. | (١٦–…) |
| كل شر يثير الكراهية في السماء. | (٢٢–…) |
| يختص الإنسان بالغدر. | (٢٥–٢٧) |
| خطيئة العنف في الحلقة الأولى من الحلقات الثلاث الصغيرة، أي: الحلقة السابعة. | (٢٨–…) |
| ثلاث صور للعنف؛ مع الله، مع النفس، مع الأقربين. | (٣١–…) |
| كل من يحرم نفسه من الدنيا يقامر بثروته، ويحزن في موضع السعد. | (٤٣–٤٥) |
| موضع أهل سادوم وكاهور. | (٤٩–…) |
| صور من غدر الإنسان. | (٥٢–…) |
| تحديد مواضع المنافقين والمتملقين والمزيفين واللصوص والمرتشين في الحلقة الصغرى، يعني الحلقة التاسعة. | (٥٨–…) |
| يعبر دانتي عن وضوح شرح أستاذه. | (٦٧–…) |
| ولكنه يتساءل لماذا لم يُعاقَب أصحاب المستنقع، والذين تقودهم الريح، ومن يضربهم المطر الثقيل … في المدينة الحمراء. | (٧٠–…) |
| يراجع فرجيليو دانتي في أسئلته، ويشير إلى كتاب أرسطو في علم الأخلاق. | (٧٦–…) |
| ينعت دانتي فرجيليو بالشمس التي تبرئ كل بصر سقيم، ويقول إن الشك عنده لا يقل إمتاعًا عن المعرفة. | (٩١–…) |
| يشير فرجيليو إلى فلسفة أرسطو. | (٩٧–…) |
| ويشير إلى كتابه عن علم الطبيعة. | (١٠١–…) |
| الفن يتبع الطبيعة، ويكاد يكون لله حفيدًا. | (١٠٣–…) |
| يبني المرابي آماله على غير الطبيعة والفن. | (١٠٩–…) |
| اقتراب الفجر بارتفاع برج الحوت وعلو الدب الأكبر فوق ريح كاروس. | (١١٢–…) |
الأنشودة الثانية عشرة: أنشودة من ارتكبوا العنف ضد الناس، أو أنشودة القناطس
| مكان وعر مثل جبال الألب. | (١–…) |
| صورة لضفة نهر الأديج. | (٤–…) |
| المينوطاوروس حارس الحلقة السابعة. | (١١–…) |
| فرجيليو يبعده بكلماته. | (١٦–…) |
| أصبح الوحش في صورة الثور الذي يحطم قيده عند إصابته بطعنة قاتلة. | (٢٢–…) |
| تحرُّك الصخور تحت قدمَي دانتي، لثقله. | (٢٨–…) |
| يذكر فرجيليو هبوط المسيح إلى اللمبو لإنقاذه بعض الشخصيات، واهتزاز الوادي كأن العالم قد أصابته ومضة الحب. | (٣٧–…) |
| اقتراب نهر الدم (فليجيتونتي). | (٤٦–…) |
| الجشع والغضب يثيران الإنسان في الحياة الدنيا، ويؤديان به إلى العذاب الأبدي. | (٤٩–٥١) |
| رأى دانتي سيلًا من القناطس تسلحت بالسهام كأنها خارجة إلى الصيد. | (٥٥–…) |
| القناطس كيرون ونيسوس وفولوس. | (٦٧–…) |
| ألوف من القناطس حول بحيرة الدماء. | (٧٣–…) |
| يحاول كيرون أن يضرب دانتي بسهمه. | (٧٧–…) |
| شرح فرجيليو أمر دانتي، وطلب قنطروسًا كدليل. | (٨٥–…) |
| يسير الشاعران على ضفة نهر الدماء مع دليلهما نيسوس. | (١٠٠–…) |
| مريقو الدماء والناهبون غطسوا في الدم حتى عيونهم. | (١٠٣–…) |
| ومنهم إسكندر وديونيسيوس. | (١٠٦–…) |
| وأتزولينو دا رومانو وأوبيتزو دا إستي. | (١٠٩–…) |
| وجويدو دي مونتفورتي، الذي قتل هنري بن ريتشارد ملك إنجلترا، ويقال إن قلب المقتول لا يزال محفوظًا فوق نهر التاميز. | (١١٨–١٢٠) |
| ينخفض الدم في النهر تبعًا للخطايا. | (١٢١–…) |
| عذاب أتيلا وبيروس وسكستوس وبومبيوس. | (١٣٣–١٣٥) |
| وعذاب رينيير دا كورنيتو ورينيير باتزو قاطعًا الطرق في إيطاليا. | (١٣٦–…) |
الأنشودة الثالثة عشرة: أنشودة المنتحرين، أو أنشودة بييرو دلا فينيا
| غابة المنتحرين المليئة بالأشواك. | (١–…) |
| مقارنتها بغابة تشيتشينا وكورنيتو في تسكانا. | (٧–…) |
| أعشاش الهربوسات القبيحة؛ وجوه نساء وأجسام طيور. | (١٠–…) |
| يسمع دانتي نواحًا بين جذوع الأشجار. | (٢٢–…) |
| يقطع دانتي غصنًا، فيصرخ الجذع وقد سالت منه الدماء. | (٣١–…) |
| يثير الجذع الرحمة في قلب دانتي. | (٣٤–…) |
| صورة غصن أخضر يحترق، يتكلم الغصن ويقطر منه الدم في وقت واحد. | (٤٠–…) |
| يسقط الغصن من يد دانتي وقد تولاه الخوف. | (٤٥) |
| يطلب فرجيليو إلى الجذع الكلام حتى يجدد دانتي ذكراه في الأرض. | (٤٦–…) |
| يتكلم الجذع (هذه هي روح بييرو دلا فينيا). | (٥٥–…) |
| قال إنه حفظ أسرار الإمبراطور فردريك، ونال ثقته. | (٥٨–…) |
| الحسد — الذي يشبه المرأة الداعرة — أثار عليه النفوس. | (٦٤–…) |
| انتحر بييرو دلا فينيا لكي يخلص من الهوان. | (٧٠–…) |
| ويطلب إرضاء ذكراه في الدنيا. | (٧٦–…) |
| فرجيليو يسأل كيف تتحد نفس المنتحر بهذه الجذوع ذات العقد. | (٨٥–…) |
| يتكلم بييرو عن هبوط نفس المنتحر إلى الجحيم، ونَبتها ونموُّها إلى شجرة جافة تتغذى عليها الهربوسات. | (٩١–…) |
| ولن ترجع نفس المنتحر إلى جسدها ثانية؛ إذ ليس عدلًا أن ينال الإنسان ما خلعه بنفسه. | (٩٤–…) |
| يسمع دانتي صوت الصيد وتهشُّم الأشجار. | (١١٢–…) |
| روحان عاريتان تجريان هربًا من كلاب متحفزة؛ لانو دي سيينا، وجاكومو دا سانت أندريا، اللذان أسرفا في الأموال، ويعاملهما دانتي كالمنتحرين. | (١١٥–…) |
| صورة كلاب سلوقية تمزق معذبًا بين الأشجار (لوتو دلي آلي). | (١٢٤–…) |
| يتكلم المعذب الفلورنسي الذي انتحر لحكم خاطئ أصدره، ويطلب إلى دانتي أن يجمع أوراق الشجرة التي هو فيها. | (١٣٩–…) |
| يتنبأ «لوتو» لفلورنسا بالصراع الداخلي الدائم. | (١٤٢–…) |
الأنشودة الرابعة عشرة: أنشودة من لعنوا الله، أو أنشودة كابانيو
| حب دانتي لفلورنسا جعله يجمع الأوراق المتناثرة كما طلبت روح الفلورنسي المنتحر. | (١–…) |
| الوصول إلى سهل قاحل يشبه صحراء ليبيا التي سار فيها كاتو. | (٧–…) |
| رأى دانتي قطعانًا من النفوس العارية، التي ارتكبت العنف مع الله، وهي تجري وتبكي في بؤس شديد. | (١٩–…) |
| كانوا في أوضاع مختلفة. | (٢٢–…) |
| نُدَف النار تسقط فوق الرمال. | (٢٨–…) |
| صورة ألسنة اللهب التي سقطت على جيش الإسكندر في الهند. | (٣١–…) |
| ألم المعذبين تحت وابل من النيران. | (٣٧–…) |
| كابانيو يجلس غير عابئ بالنيران. | (٤٣–…) |
| يتكلم كابانيو بصلف وغطرسة. | (٤٩–…) |
| يقول له فرجيليو إنه ما من عقاب له سوى غضبه ذاته. | (٦١–…) |
| ويقول إن ازدراءه الله حلية تزين صدره بما يناسبه. | (٧٠–…) |
| يطلب إلى دانتي أن يسير وراءه، ويحذره من الرمل الملتهب. | (٧٣–…) |
| الوصول إلى جدول أحمر، وهو استمرار لنهر فليجيتونتي. | (٧٦–…) |
| مقارنته بنبع بوليكامي قرب فيتربو. | (٧٩–…) |
| ينوِّه فرجيليو بهذا الجدول. | (٨٥–…) |
| يتكلم فرجيليو عن جزيرة كريت. | (٩٤–…) |
| هناك أخفت ريا ابنها جوبيتر في جبل إيدا. | (١٠٠–…) |
| تمثال ضخم في الجبل مصنوع من الذهب والفضة والنحاس والحديد والفخار، وأدار كتفيه لدمياط، ونظر إلى روما كأنها مرآته. | (١٠٣–…) |
| يذكر كيف تتكون أنهار الجحيم؛ أكيرونتي، واستيكس، وفليجيتونتي، وكوتشيتوس، ومصدرها دموع المعذبين. | (١١٥–١٢٠) |
| يستفسر دانتي عن ظهور الجدول في هذا الجانب وحده. | (١٢١–…) |
| يسأل دانتي عن نهر ليتي، نهر النسيان. | (١٣٠–…) |
| وفرجيليو يشرح. | (١٣٣–…) |
| ينصحه فرجيليو بأن يسير من ورائه حتى لا تحرقه النيران. | (١٣٩–…) |
الأنشودة الخامسة عشرة: أنشودة الملوِّطين، أو أنشودة برونيتو لاتيني
| مقارنة بين ضفة فليجيتونتي والسد في بلاد الفلمنك وحاجز نهر برينتا. | (١–…) |
| يسخر دانتي بعمل الإنسان عندما يقول إن ضفتَي فليجيتونتي لم تكونا في ضخامة سد الفلمنك وحاجز برينتا. | (١٠–١٢) |
| دانتي يلاقي حشدًا من النفوس، فينظرون إلى الشاعرين كما يفعل الناس على ضوء القمر الوليد، أو كما يحدِّق حائك عجوز في سَم الخِياط. | (١٦–…) |
| دانتي يتعرف على برونيتو لاتيني على الرغم من وجهه المحترق. | (٢٢–…) |
| يرغب برونيتو في السير مع دانتي قليلًا، والذي يرحب بذلك. | (٣١–…) |
| يسير دانتي فوق الحاجز المرتفع، وينحني لكي يحادث برونيتو. | (٣٧–…) |
| يسأل برونيتو دانتي كيف جاء هنا. | (٤٦–…) |
| قال برونيتو إنه إذا اتبع نجمه فلن يفوته بلوغ المرفأ المجيد. | (٥٥–…) |
| ويقول إن شعب فلورنسا الخبيث سيصبح عدوًّا له لِما قام به من طيب الأعمال. | (٦١–…) |
| وهو شعب أعمى بخيل متغطرس حسود. | (٦٧-٦٨) |
| ويقول برونيتو إن الحظ يحفظ لدانتي رفيع الشرف، وسيتلهف عليه هذا الحزب وذاك، ولكن العشب لن يكون في متناول العنز. | (٧٠–…) |
| وينوِّه بأصله الروماني. | (٧٣–…) |
| يعتز دانتي بصورة برونيتو الأبوية، ويعترف بفضله. | (٧٩–…) |
| يقول دانتي إنه مستعد لأن يحتمل كل ما يريده به الحظ. | (٩١–…) |
| يُطري فرجيليو دانتي، ويقول له إن من يحسن الإنصات يحسن الفهم. | (٩٧–…) |
| يذكر برونيتو أن رفاقه في الخطيئة كانوا قساوسة وأدباء عظامًا وأصحاب شهرة، مثل بريشان دا تشيزاريا، وفرنتشسكو دا كورسو، وأندريا دي موتزي. | (١٠٦–…) |
| كان برونيتو يود البقاء أكثر ولكنه لا يستطيع، ويوصي دانتي بكتابه «الكنز». | (١١٥–…) |
| يرجع برونيتو وهو يعدو بأقصى سرعة، وكأنه أحد المتسابقين في سباق بقرب فيرونا. | (١٢١–…) |
الأنشودة السادسة عشرة: تكملة للسابقة، وتُسمَّى أنشودة الفلورنسيين الثلاثة
| يسمع دانتي هدير المياه الساقطة مثل دويِّ النحل. | (١–…) |
| رأى ثلاثة أشباح تنفصل عن بعضها. | (٤–…) |
| وشاهد على أجسامهم الندوب والجراح من أثر النار. | (١٠–…) |
| فرجيليو يسأل دانتي أن يكون رفيقًا بهؤلاء. | (١٣–…) |
| استأنف الثلاثة البكاء، وجعلوا من أنفسهم حلقة واحدة. | (١٩–…) |
| وكانوا على صورة أبطال الرياضة وهم يتحيَّنون أوجه الظَّفَر. | (٢٢–…) |
| يسألون دانتي من هو الذي يحرك قدميه دبيبُ الحياة خلال الجحيم. | (٢٨–…) |
| أحد الثلاثة هو جويدو جويرا، المواطن الفلورنسي. | (٣٤–…) |
| والثاني تيجيايو ألدوبراندي، الفارس الفلورنسي. | (٤٠–…) |
| والثالث جاكوبو روستيكوتشي، الفارس الفلورنسي. | (٤٣–٤٥) |
| كان دانتي يتمنى أن يُلقي بنفسه بينهم في النيران لكي يعانقهم. | (٤٦–…) |
| حزن دانتي من أجلهم. | (٥٢–…) |
| يقول دانتي لهم إنه من مدينتهم، وإنه أصغى بإعزاز إلى أعمالهم. | (٥٨–…) |
| سأله جويدو ألا تزال فلورنسا موطنًا للشجاعة والكياسة. | (٦٤–…) |
| قال إن مُحدَثي النعمة قد أوجدوا في فلورنسا الغطرسة والإفراط. | (٧٣–…) |
| سأل الثلاثة دانتي أن يحمل ذكراهم إلى الدنيا. | (٨٢–…) |
| وانطلقوا بأقصى سرعة. | (٨٦–…) |
| يسمع دانتي دويَّ نهر أكواكويتا، الذي ينبع من جبل فيزو، ويمر بفورلي وسان بندتو. | (٩١–…) |
| يفك دانتي حبلًا من حول وسطه ويعطيه لفرجيليو. | (١٠٦–…) |
| ألقى فرجيليو بالحبل إلى أسفل عند طرف الحافة. | (١١٢–…) |
| توقع دانتي أن يستجيب شيء غير مألوف لهذه الإشارة. | (١١٥–…) |
| ينبغي أن يكون الإنسان حذرًا أمام من يَنفُذون إلى الأفكار بذكائهم. | (١١٨–…) |
| يجب على الإنسان أن يلزم الصمت أمام الصدق الذي له مظهر الكذب. | (١٢٤–…) |
| يقسم دانتي بأبيات الكوميديا التي يرجو لها المجد أنه رأى كائنًا عجيبًا يأتي إلى أعلى. | (١٣٠–…) |
| ويشبه في حركته الملاح الذي يصعد إلى سطح الماء. | (١٣٣–…) |
الأنشودة السابعة عشرة: أنشودة من ارتكبوا العنف ضد الفن، وتُسمَّى أنشودة المرابين، أو أنشودة جيريوني
| ظهر جيريوني الوحش، الذي له وجه إنسان وجسم زاحفة، رمز الخيانة. | (١–…) |
| كان له مخلبان يكسوهما الشعر، وتَزركَش الظهرُ والصدر والجانبان بالعقد مثل أقمشة الترك والتتر. | (١٣–…) |
| وقف على الشاطئ كما تقف صغار السفن. | (١٩–…) |
| إشارة إلى نهم الألمان. | (٢٢–…) |
| وكان للوحش شوكة مثل زُنابَى العقرب. | (٢٥–…) |
| سار الشاعران معًا. | (٢٨–…) |
| سأل فرجيليو دانتي أن يسير بمفرده قليلًا. | (٣٧–…) |
| رأى دانتي العذاب يتفجر من عيون الآثمين. | (٤٦–…) |
| وينحُّون بأيديهم النيران كما تفعل الكلاب في الصيف عندما تدفع عنها الحشرات. | (٤٩–…) |
| رأى دانتي الأكياس التي تتدلى من رقاب المعذبين وعليها علامات تسكانية. | (٥٥–…) |
| علامة زرقاء لها وجه الأسد وزيُّه، وأخرى حمراء في صورة إوزة، وغيرها في صورة خنزيرة زرقاء سمينة. | (٥٨–…) |
| فيتاليانو المواطن من بادوا. | (٦٤–…) |
| جوفاني دي بويامونتي الفلورنسي أمير المرابين. | (٧٢–…) |
| لوى فيتاليانو فمه وأخرج لسانه كثور يلحس أنفه. | (٧٤-٧٥) |
| خشي دانتي أن يكون قد أغضب فرجيليو لطول توقفه. | (٧٦–…) |
| يعتلي الشاعران ظهر الوحش. | (٧٩–…) |
| خوف دانتي وشعوره يمثل إحساس حمى الرِّبع. | (٨٥–…) |
| فرجيليو يحمي دانتي ويسنده. | (٩٤–…) |
| يتحرك الوحش كخروج السفينة من الشاطئ. | (١٠٠–…) |
| خاف دانتي أكثر من خوف إيكاروس عندما فقد جناحيه بذوب الشمع وسط السماء. | (١٠٦–…) |
| هبوط جيريوني البطيء، والهواء يحيط بدانتي من كل جانب. | (١١٥–…) |
| زيادة خوف دانتي لسماعه دويَّ المياه وبكاء الآثمين. | (١١٨–…) |
| هبط جيريوني كالصقر الذي يهبط دون صيد. | (١٢٧–…) |
| انطلاقه كانطلاق السهم من الوتر. | (١٣٦) |
الأنشودة الثامنة عشرة: أنشودة من أغوَوا النساء
| في الجحيم مكان يُدعَى «ماليبولجي»، أي: أودية الشر والعذاب. | (١–…) |
| هي عشرة أودية أو خنادق تشغل الحلقة الثامنة. | (٧–…) |
| وهي في صور الخنادق التي كانت تحيط بالقلاع في عهد دانتي. | (١٠–…) |
| وخرجت أحجار عبرت الأودية، وكانت بمثابة جسور فوقها، حتى بلغت البئر في الحلقة التاسعة. | (١٤–…) |
| رأى دانتي أسًى جديدًا وعذابًا غير مألوف. | (٢٢–…) |
| كان الآثمون عرايا في قاع الخندق الأول. | (٢٥–…) |
| ازدحامهم كازدحام الجماهير في عام اليوبيل في روما. | (٢٨–…) |
| الشياطين يُلهِبون ظهور الآثمين بالسياط. | (٣٤–…) |
| فينيديكو كاتشانيميكو البولوني يحاول إخفاء وجهه، ولكن دانتي يعرفه. | (٤٠–…) |
| أغرى أخته جيزولا بيلا بإرضاء شهوة مركيز فرَّارا. | (٥٢–…) |
| ورأى دانتي بولونيين كثيرين في هذا الخندق. | (٥٨–…) |
| الشيطان يلسع فينيديكو. | (٦٤–…) |
| يصعد الشاعران فوق جسر صخري. | (٧٠–…) |
| طلب فرجيليو إلى دانتي أن ينظر إلى وجوه بعض المعذبين. | (٧٣–…) |
| رأى دانتي جاسون التسالي الذي حرم الكولكيين من كبش الذهب. | (٨٢–…) |
| وأغوى هيبسبيل وهجرها حبلى وحيدة. | (٩١–…) |
| وصل الشاعران إلى جسر جديد، وسمعا نواحًا وبكاء وضربات أكف في الخندق الثاني. | (١٠٠–…) |
| كانت جوانبه مغطاة بعفن أرسبته الأبخرة المتصاعدة من أسفل. | (١٠٦–…) |
| رأى دانتي المعذبين وقد غطسوا في غائط نبع من فضلات البشر. | (١١٢–…) |
| فحص دانتي قاع الخندق بعينيه، وعرف أليسيو إنترميني، المواطن من لوكا. | (١١٥–…) |
| رأى دانتي تاييس الأثينية الداعرة وهي تمزق نفسها بالأظفار. | (١٢٧–…) |
| يكتفي فرجيليو بما شهده. | (١٣٦) |
الأنشودة التاسعة عشرة: أنشودة السمعانية
| سمعان الساحر وأتباعه الذين أفسدوا نعم الله بالذهب والفضة. | (١–…) |
| صعد الشاعران فوق الخندق أو الوادي الثالث. | (٧–…) |
| رأى دانتي في الخندق فتحات مستديرة تشبه فتحات معمدان سان جوفاني في فلورنسا. | (١٣–…) |
| قال دانتي إنه كان قد حطم إحداها لإنقاذ طفل أوشك على الغرق. | (١٩–…) |
| كان المعذبون داخل الفجوات في وضع مقلوب، ولم يبدُ منهم سوى الأقدام. | (٢٢–…) |
| اشتعلت النار في باطن أقدامهم. | (٢٥–…) |
| وتحركت الشعلات كما تتحرك على الأشياء المطلية بالزيت. | (٢٨–…) |
| يستفسر دانتي عن أحد المعذبين. | (٣١–…) |
| يعرض فرجيليو عليه أن يحمله ويهبط به إلى الخندق لكي يرى المعذب عن كثب. | (٣٤–…) |
| يقول دانتي لفرجيليو إن كل ما يرضيه جميل عنده ومقبول. | (٣٧–…) |
| أنزل فرجيليو دانتي عن جنبه عندما بلغا فجوة كان يُعذَّب فيها البابا نيقولا الثالث. | (٤٣–…) |
| يطلب دانتي إلى هذا المعذب أن يتكلم. | (٤٦–…) |
| ظن نيقولا الثالث أن من يحادثه هو بونيفاتشو الثامن. | (٥٢–…) |
| أوضح له دانتي حقيقة الأمر. | (٦١–…) |
| يروي نيقولا لدانتي قصته بصوت باكٍ وهو يتنهد. | (٦٤–…) |
| قال إنه حرص على تقدم أسرته، واختزن المال في الدنيا. | (٧٠–…) |
| وقال إن بونيفاتشو الثامن سوف يأتي إلى هذا المكان. | (٧٦–…) |
| وسوف يأتي كلمنتو الخامس. | (٨٢–…) |
| قال دانتي إن السيد الإله لم يطلب مالًا من القديس بطرس، بل سأله أن يتبعه. | (٩١–…) |
| يحمل دانتي على البابوات. | (٩٧–…) |
| ويقول إنهم اتخذوا من الذهب والفضة إلهًا. | (١١٢–…) |
| يندد دانتي بمنحة قسطنطين للبابا سيلفيسترو. | (١١٥–…) |
| رضي فرجيليو بكلمات دانتي القاسية وابتسم. | (١٢١–…) |
| حمل فرجيليو دانتي، وصعد به راجعًا في طريق صعب حتى على سير المعز. | (١٢٤–…) |
الأنشودة العشرون: أنشودة العرافين والمنجمين
| رأى دانتي عذابًا جديدًا كان عليه أن يصوغه شعرًا. | (١–…) |
| رأى في الخندق أو الوادي الرابع قومًا يسيرون بخطًى بطيئة، ويبكون في صمت. | (٧–…) |
| شهد معذبين الْتوت رءوسهم إلى الخلف. | (١٠–…) |
| يقارن دانتي هذا بمرض الشلل. | (١٦–…) |
| تأثر دانتي وبكى وهو يعتمد على صخرة في الجسر الوعر. | (١٩–…) |
| يراجعه فرجيليو ويقول له مَن أضلُّ مِن الذي يأخذه الأسى أمام قضاء الله. | (٢٧–…) |
| يرى دانتي أمفياروس العراف اليوناني يسير منكوس الرأس. | (٣٤–…) |
| ويرى تيريسياس، العراف اليوناني في الميتولوجيا القديمة. | (٤٠–…) |
| ويشهد أرونس العراف الإترسكي. | (٤٦–…) |
| ويرى مانتو الساحرة ابنة تيريسياس تغطي ثدييها بجدائل الشعر، ولها في الجانب الآخر كل جلد أشعر. | (٥٢–…) |
| وكانت قد جابت بلادًا كثيرة في أعالي إيطاليا؛ سفح الألب، وبحيرة جاردا، ووادي كامونيكا. | (٦١–…) |
| إشارة إلى قلعة بسكييرا التي تصد أهل بريشا وأهل برجامو. | (٧٠–…) |
| ونهر مينتشو الذي يصب في نهر البو عند مدينة جوفرنو. | (٧٦–…) |
| استقرت مانتو في أرض قفراء حيث عاشت وماتت. | (٨٢–…) |
| وأنشأ رجالها مدينة مانتوا وتكاثر سكانها. | (٩١–…) |
| يعلن دانتي ثقته التامة في كلام فرجيليو عن أصل مدينة مانتوا مسقط رأسه. | (١٠٠–…) |
| أشار فرجيليو إلى أوريبيلوس وكالكاس، العرافَين اليونانيين في الميتولوجيا القديمة. | (١٠٦–…) |
| رأى دانتي ميكيل اسكوت العراف الاسكتلندي | (١١٥–…) |
| ورأى بوناتي وأسدينتي، العرافَين الإيطاليين. | (١١٨–…) |
| وشهد البائسات اللائي تركن المغزل، وصنعن الطلاسم. | (١٢١–…) |
| فرجيليو يسأل دانتي الذهاب لمرور الوقت. | (١٢٤–١٣٠) |
الأنشودة الحادية والعشرون: أنشودة المرتشين
| وصل الشاعران إلى الخندق الخامس. | (١–…) |
| وصفٌ لمصنع سفن البنادقة، وطلاء السفن المعطبة بالقطران. | (٧–…) |
| موازنة ذلك بالقطران الآني في هذا الخندق. | (١٦–…) |
| فرجيليو يحذر دانتي ويجذبه إليه. | (٢٢–…) |
| رأى دانتي شيطانًا رهيب المنظر، فتولاه الخوف. | (٢٥–…) |
| وكان يحمل آثمًا على كتفيه. | (٣٤–…) |
| الشيطان يندد بالمرتشين من لوكا. | (٣٧–…) |
| في لوكا أصبحت «لا» بمعنى «نعم» من أجل المال. | (٤٢–…) |
| يقذف الشيطان بالآثم في القطران. | (٤٣–…) |
| صورة كلب ينطلق بسرعة وراء لص هارب. | (٤٤-٤٥) |
| يصيح الشياطين بالمعذب بأن السباحة في القطران ليست كما في نهر سيركيو. | (٤٧–…) |
| يضرب الشياطين المعذب بمقامعهم كالطهاة وأعوانهم وهم يغمسون اللحم بمداريهم في القدور. | (٥٢–…) |
| فرجيليو يدعو دانتي للاحتماء وراء صخرة. | (٥٨–…) |
| اندفع الشياطين بخطاطيفهم نحو فرجيليو في صورة الكلاب التي تندفع وراء فقير يقف ليطلب الإحسان. | (٦٧–…) |
| فرجيليو يباحث الشياطين. | (٧٣–…) |
| ويقول إنه جاء بإرادة السماء. | (٧٩–…) |
| وقف الشياطين عند حدِّهم. | (٨٥–…) |
| فرجيليو يدعو دانتي إليه. | (٨٨–…) |
| تدافع الشياطين إلى الأمام في صورة المشاة الذين خرجوا من قلعة كابرونا بعد التعاهد. | (٩١–…) |
| كان دانتي لا يزال خائفًا، فالْتصق بفرجيليو. | (٩٧–…) |
| قال الشيطان مالاكودا إن الجسر السادس محطم. | (١٠٦–…) |
| وأرسل بعض أتباعه لمرافقة الشاعرين. | (١١٥–…) |
| يعبر دانتي عن مخاوفه، ويفضل السير بمفرده مع فرجيليو. | (١٢٧–…) |
| فرجيليو يهدئ من روع دانتي. | (١٣٣–…) |
| السير إلى الأمام وقد جعل الشيطان بارباريتشا من عَجُزه بوقًا. | (١٣٦–…) |
الأنشودة الثانية والعشرون: تابعة لأنشودة المرتشين السابقة
| صورة الفرسان في المعركة وفي الاستعراض. | (١–…) |
| إشارة إلى اعتداء فرسان فلورنسا على أملاك أريتزو. | (٤–…) |
| يقول دانتي إن ذلك دون ما رآه من سير الشياطين بإشارة من بوق بارباريتشا الغريب. | (١٠–…) |
| ولكن الإنسان يصحب في الكنيسة القديسين، وفي الحانة ذوي النهم. | (١٣-١٤) |
| صورة الدرافيل التي تنبه السفن إلى خطر العاصفة. | (١٩–٢١) |
| هكذا برز الآثمون من القطران. | (٢٢–…) |
| صورة الضفادع عند حافة المستنقع. | (٢٥–…) |
| كذلك وقف الآثمون عند حافة القطران. | (٢٨–…) |
| جرافيكاني ينتزع معذبًا من شعر رأسه، فبدا ككلب البحر. | (٣٤–…) |
| أراد دانتي أن يعرف من هو. | (٤٣–…) |
| عرف فرجيليو أنه جامبولو النافاري، الذي استغل مركزه في جمع المال. | (٤٦–…) |
| يمزق تشيرياتو لحم جامبولو. | (٥٥–…) |
| وبذلك وقع الفأر بين قطط شريرة. | (٥٨–…) |
| فرجيليو يسأله أيوجَد تحت القطران واحد من اللاتين. | (٦٤–…) |
| ليبيكوكو يمزق لحم جامبولو. | (٧٠–…) |
| يتكلم جامبولو عن الراهب جوميتا المرتشي، وكان قاضيًا في سردينيا. | (٧٩–…) |
| جامبولو يعرض على الشاعرين أن يستقدم من القطران بعض أهل تسكانا ولمبارديا، وطلب بقاء الشياطين بعيدين قليلًا. | (٩٧–…) |
| الشيطان أليكينو يدخل في مباراة عجيبة مع جامبولو. | (١٠٩–…) |
| على أساس أيهما أسرع في بلوغ سطح القطران. | (١١٥–…) |
| مباراة فيها هزل وسخرية ممتزجة بالمأساة والعذاب. | (١١٨–…) |
| كان جامبولو أسرع في القفز إلى القطران من جناحَي الشيطان، وبذلك هرب من تمزيق لحمه. | (١٢١–…) |
| صورة البط البري وهو يغوص في الماء عندما يهبط عليه الصقر. | (١٣٠–…) |
| معركة بين الشيطانين أليكينو وكالكابرينا. | (١٣٦–…) |
| يعمل سائر الشياطين على إنقاذهما من القطران. | (١٤٥–…) |
| دانتي وفرجيليو يسيران وقد ارتبك الشياطين على ذلك النحو. | (١٥١) |
الأنشودة الثالثة والعشرون: أنشودة المنافقين
| سار الشاعران الواحد بعد الآخر كرهبان الفرنتشسكان. | (١–…) |
| إشارة إلى بعض قصص إيزوب. | (٤–…) |
| يتضاعف خوف دانتي. | (١٠–…) |
| فكر دانتي فيما نال الشياطين من السخرية، واعتقد أنهم سيأتون في صورة الكلب عندما ينهش الأرنب البري. | (١٣–…) |
| انتصب شعر دانتي من الخوف. | (١٩–…) |
| يقول فرجيليو إن أفكارهما واحدة، ويطمئنه. | (٢٥–…) |
| فرجيليو يأخذ دانتي بين ذراعيه كأم تحمي ابنها من خطر النيران، وتجري به وهي شبه عارية. | (٣٧–…) |
| يهبط فرجيليو بدانتي كما تجري مياه تدير عجلة طاحون. | (٤٣–…) |
| كان فرجيليو يحمل دانتي فوق صدره كأنه ابنه. | (٤٩–…) |
| ابتعاد خطر الشياطين لأنه لا يمكنهم عبور منطقتهم. | (٥٢–…) |
| يرتدي المنافقون في الخندق السادس ثيابًا ملونة، وقلانس من الرصاص الثقيل، ويبكون ويسيرون في بطء شديد. | (٥٨–…) |
| كان للشاعرين رفقة جديدة من المنافقين في كل خطوة. | (٧٠–…) |
| منافقان يحاولان اللحاق بدانتي. | (٧٦–…) |
| دانتي يبدو لهما إنسانًا حيًّا من حركة حنجرته. | (٨٨–…) |
| يسألاه عن شخصه كتسكاني. | (٩١–…) |
| قال دانتي إنه وُلد ونشأ على ضفة الأرنو الجميل في المدينة العظيمة (فلورنسا). | (٩٤–٩٦) |
| أفصحا دانتي عن شخصيهما، وهما الراهب كاتالانو والراهب لوديرينجو من بولونيا. | (١٠٠–…) |
| الكاهن قيافا مصلوب على الأرض. | (١٠٩–…) |
| كان قد أشار بالتضحية بالمسيح في سبيل خلاص الشعب. | (١١٥–…) |
| يَعجب فرجيليو من وضع قيافا المزري. | (١٢٤–…) |
| وسأل عن ثغرة يمكن المرور منها. | (١٢٧–…) |
| أعلمه كاتالانو بمكان العبور. | (١٣٣–…) |
| أدرك فرجيليو كذب مالاكودا عليه. | (١٣٩–…) |
| الشيطان كذوب وأبو الأكاذيب. | (١٤٢–…) |
| سار فرجيليو وقد بدت على وجهه علائم الغضب. | (١٤٥–…) |
| دانتي يتابع مواطئ قدمَي فرجيليو العزيزتين. | (١٤٨–…) |
الأنشودة الرابعة والعشرون: أنشودة اللصوص
| صورة لبعض مظاهر الريف الإيطالي في الشتاء. | (١–…) |
| يتولى الفلاحَ اليأسُ بسقوط الصقيع. | (٧–…) |
| ويسترجع الأمل عند طلوع الشمس، فتتغير معالم الأرض. | (١٢–…) |
| يقارن دانتي بين هذه الحال، وما تولاه من يأس أعقبه الأمل. | (١٦–…) |
| فرجيليو يحمل دانتي عند الجسر المحطم. | (١٩–…) |
| الصعود بحذر وتؤدة فوق الصخر الوعر. | (٢٥–…) |
| يعاني دانتي من مشقة الصعود. | (٣١–…) |
| يجلس دانتي وهو لاهث الأنفاس بمجرد وصوله. | (٤٣–…) |
| يدعوه فرجيليو إلى أن يحرر نفسه من الإعياء؛ لأن المجد لا يُنال بالجلوس على الريش ولا تحت الأغطية، ولا قيمة للحياة دون مجد. | (٤٦–…) |
| فرجيليو يدعو دانتي للنهوض والتغلب على الإعياء بقوة النفس التي تظفر في كل معركة إذا لم تنؤ تحت جسدها الثقيل. | (٥٢–…) |
| ينهض دانتي وقد قويت روحه المعنوية. | (٥٨–…) |
| سمع دانتي أصواتًا ولكنه لم يفهم كلامًا، ونظر ولكنه لم يرَ شيئًا بسبب الظلام. | (٦٤–…) |
| يهبط الشاعران إلى الخندق السابع. | (٧٦–…) |
| رأى دانتي حشدًا من الزواحف يفوق ما في ليبيا وإثيوبيا وسواحل البحر الأحمر. | (٨٢–…) |
| جرى بينها اللصوص وهم عراة. | (٩١–…) |
| تلتفُّ الزواحف حول اللصوص المعذبين. | (٩٤–…) |
| يشتعل الآثم بعد لدغه ويتحول إلى رماد، ثم يعود إلى شكله السابق، وكان هذا هوفاني فوتشي اللص من بستويا. | (٩٧–…) |
| كان هذا المعذب في هبوطه ونهوضه في مثل حالة من يسقط بتقلص الجسد، ثم ينهض وهو زائغ البصر. | (١١٢–…) |
| يشير دانتي إلى قسوة القوة الإلهية في انتقامها من الآثمين. | (١١٩–…) |
| قال فاني فوتشي إنه كانت له صفات البغال؛ ولذلك فقد لذَّت له حياة البهائم. | (١٢٤–…) |
| وارتسم على وجهه خجل حزين. | (١٣٠–…) |
| واعترف بأنه سرق من كاتدرائية بستويا، واتهم غيره بالسرقة. | (١٣٦–…) |
| ولكيلا يتمتع دانتي بما رآه تنبأ له فوتشي بما سيحل بالبيض من الويلات. | (١٤٢–١٥١) |
الأنشودة الخامسة والعشرون: تكملة لأنشودة اللصوص السابقة
| اجترأ اللص فاني فوتشي على الله بأن أتى بحركة تدل على الزراية. | (١–…) |
| أصبحت الزواحف صديقة لدانتي لأنها التفَّت حول الآثم وقيَّدته. | (٤–…) |
| يحمل دانتي على بستويا. | (١٠–…) |
| رأى دانتي كاكوس، اللص المارد في الميتولوجيا اليونانية. | (١٦–…) |
| الأفاعي فوق ظهره، وتنين رهيب على كتفيه. | (١٩–…) |
| سفك كاكوس الدماء، وقتله هرقل. | (٢٥–…) |
| اقتربت ثلاثة أشباح من الشاعرين. | (٣٤–…) |
| يضع دانتي أصبعه بين الذقن والأنف؛ لكي يحمل فرجيليو على الانتباه إلى هؤلاء الثلاثة، وهم من نبلاء فلورنسا. | (٤٣–…) |
| رأى دانتي مشهدًا عجبًا. | (٤٦–…) |
| كاينفا دي دوناتي النبيل الفلورنسي اللص في صورة زاحفة، وثبت لمهاجمة أنيلو دي برونلسكي، النبيل الفلورنسي اللص. | (٤٩–…) |
| التفافهما وامتزاجهما وتعانقهما كما لم يتعانق لبلاب وشجرة أبدًا. | (٥٢–…) |
| لم يبدُ اللص ولا الزاحفة على ما كانا عليه. | (٦١–…) |
| صورة الورق وهو يحترق بالتدريج فيتغير لونه. | (٦٤–…) |
| بدا الاثنان معًا وحشًا مسيخًا. | (٧٠–…) |
| فرنتشسكو دي كافالكانتي الفلورنسي، في صورة زاحفة، يهاجم بووزو دلي أباتي، وكان في هجومه كعظاية تنتقل من عوسج لآخر زمن الصيف. | (٧٩–…) |
| لدغت الزاحفة بووزو في سرة البطن. | (٨٥–…) |
| يدعو دانتي لوكانوس وأوفيديوس إلى السكوت عما تناولاه في كتابتهما من ضروب التحولات؛ لأن ما رآه هنا يفوق الوصف. | (٩٤–…) |
| تتحول الزاحفة إلى رجل، والرجل إلى زاحفة. وحدث هذا على تقابل بين أعضاء كلٍّ منهما؛ فتحوَّل الذَّنَب إلى قدمين، والقدمان إلى ذنب، وهكذا. | (١٠٣–…) |
| نهض واحد واقفًا، وسقط الآخر على الأرض. | (١٢١–…) |
| وتكوَّن رأس الرجل ووجهه، وكذا للزاحفة. | (١٢٤–…) |
| وظل كلٌّ منهما يحتفظ ببعض صفاته. | (١٣٦–…) |
| اضطراب بصر دانتي. | (١٤٥–…) |
| رأى دانتي بوتشو تشانكاتو دي جاليجاي، النبيل الفلورنسي اللص. | (١٤٨–…) |
الأنشودة السادسة والعشرون: أنشودة مشيري السوء، أو أنشودة أوليسيس
| دانتي غاضب على فلورنسا، ساخر منها. | (١–…) |
| يذكر العار الذي لَحِقه من مواطنيه اللصوص. | (٤–…) |
| يتنبأ دانتي بما سيحيق بفلورنسا من الكوارث. | (٧–…) |
| يسير الشاعران فوق الصخور الوعرة، وارتكز دانتي بيديه حتى يمكنه الذهاب. | (١٣–…) |
| يتألم دانتي عند ذكر ما شهده. | (١٩–…) |
| صورة لبعض أنحاء الريف الإيطالي في الصيف. | (٢٥–…) |
| يضيء الوادي الثامن بشعلات مثل الحباحب. | (٣١–…) |
| تتحرك الشعلات في الوادي وتتسلل كل منها بآثم. | (٤٠–…) |
| يستفسر دانتي عمن في الشعلة ذات القرنين. | (٤٩–…) |
| قال فرجيليو إن فيها أوليسيس وديوميد يبكيان خدعة الحصان أمام طروادة. | (٥٥–…) |
| يُلحِف دانتي في الرجاء للانتظار حتى تأتي هذه الشعلة. | (٦٤–…) |
| يقبل فرجيليو رجاء دانتي ويثني عليه، ولكن يسأل أن يسكت. | (٧٠–…) |
| يتحدث فرجيليو برقة إلى من بالشعلة، ويستحلفهما باسم شِعره الرفيع (الإنيادة) أن يقفا. | (٧٩–…) |
| اهتز القرن الأكبر في الشعلة كلسان إنسان يتكلم. | (٨٥–…) |
| قال أوليسيس إن شغفه بابنه، وعطفه على أبيه، وحبه لبنيلوب؛ لم يغلب في نفسه الرغبة في المعرفة. | (٩٤–…) |
| وضع نفسه فوق البحر المفتوح في سفينة مع رفاقه القلائل. | (١٠٠–…) |
| رأى شاطئ إسبانيا وشاطئ مراكش. | (١٠٣–…) |
| بلوغ جبل طارق. | (١٠٦–…) |
| أوليسيس يحفز رفاقه على متابعة الرحلة للعالم الخالي من البشر، وقال لهم إنهم لم يُخلقوا ليعيشوا كالوحوش، ولكن ليبتغوا الفضل والمعرفة. | (١١٢–…) |
| جعل رفاقه متحفزين للرحلة، حتى كاد يتعذر عليه أن يكبح جماحهم. | (١٢١–…) |
| ساروا في البحر وقد جعلوا من المجاديف أجنحة. | (١٢٤–…) |
| عبور خط الاستواء، وتحديد ذلك بالكواكب. | (١٢٧–…) |
| استمرت الرحلة خمسة شهور. | (١٣٠–…) |
| رأَوا جبلًا شاهق الارتفاع (المطهر). | (١٣٣–…) |
| داخَلَهم الفرحُ، ولكنه انقلب إلى بكاء لهبوب عاصفة هوجاء. | (١٣٦–…) |
| غرق أوليسيس ورفاقه. | (١٣٩–…) |
الأنشودة السابعة والعشرون: تكملة للسابقة، وتُسمَّى أنشودة جويدو دا مونتفلترو
| ابتعدت شعلة أوليسيس بالإذن من الشاعر الحبيب. | (١–…) |
| اقتربت شعلة أخرى خرج منها صوت يشبه خوار الثور الصقلي المصنوع من النحاس، وفي باطنه صانعه بيريلوس. | (٤–…) |
| يهتز طرف الشعلة كما يهتز اللسان عند الكلام. | (١٦–…) |
| جويدو دا مونتفلترو بداخل الشعلة يوجه الكلام إلى فرجيليو وقد سمع كلامه اللمباردي، ويسأله البقاء قليلًا. | (١٩–…) |
| ويسأله عن أحوال رومانيا؛ أهي في حرب أم سلام. | (٢٥–…) |
| يطلب فرجيليو إلى دانتي أن يتكلم. | (٣١–…) |
| تكلم دانتي فقال إن قلوب الطغاة في رومانيا لا تخلو من الحرب، ولكنها ليست الآن في قتال سافر. | (٣٤–…) |
| وقال إن رافنا تحت حكم آل مالاتستا، وكذلك تشيرفيا. | (٤٠–…) |
| وتحكم المخالب الخضراء (آل أورديلافي) مدينة فورلي. | (٤٣–…) |
| وقال إن آل مالاتستا قد ألحقوا الأذى بمونتانيا بارتشيتاتي، وإن ماجيناردو باجاني دا سوزينا يحكم «فاينتزا» على نهر لاموني، و«إيمولا» على نهر سانتيرنو. وهو يغير حزبه من الصيف إلى الشتاء. | (٤٩–…) |
| وقال إن تشيزينا على نهر السافيو وقعت تحت طغيان مالاتستينو. | (٥٢–…) |
| أخذ جويدو دا مونتفلترو يتكلم وهو يعتقد أن دانتي لن يعود إلى الأرض. | (٥٨–…) |
| قال إنه كان من رجال الحرب، ثم أصبح راهبًا، وظن أنه كفَّر عن خطاياه. | (٦٧–…) |
| ولكن القسيس الأعظم (بونيفاتشو الثامن) أعاده إلى آثامه الأولى. | (٧٠–…) |
| لم تكن أعمال جويدو أعمال أسد، بل ثعلب. | (٧٣–…) |
| وأراد التوبة عندما تقدم في السن. | (٧٩–…) |
| ولكن البابا — الذي لم يحارب العرب أو اليهود — بحث عنه لكي يشفيه من حمى كبريائه، ومنحه الغفران مقدمًا. | (٨٥–…) |
| أشار جويدو على البابا ببذل الوعد العريض مع الوفاء القليل. | (١٠٦–…) |
| تنافس القديس فرنتشسكو والشيطان من أجل روح جويدو. | (١١٢–…) |
| لا يمكن الجمع بين التوبة والرغبة في الإثم. | (١١٨–…) |
| هو من الآثمين في النار السارقة. | (١٢٧–…) |
| تسير شعلة النار وهي تتألم وتهز قرنها المدبَّب. | (١٣٠–…) |
| يمضي الشاعران في المسير ويبلغان الخندق التاسع. | (١٣٣–…) |
الأنشودة الثامنة والعشرون: أنشودة مثيري الفتن الدينية والسياسية
| يعترف دانتي بصعوبة وصف المشهد الرهيب الذي رآه. | (١–…) |
| يقول إن جرحى أبوليا وقتلاها، وضحايا طروادة وقرطاجنة، وصرعى الحرب ضد روبرتو جويسكاردو؛ ليسوا شيئًا إلى جانب ما رآه. | (٧–…) |
| رأى دانتي بيترو دا مديتشينا، مثير الشقاق في رومانيا، وهو مقطوع الحلق والأنف والأذن. | (٢٢–…) |
| يذكر سهل لمبارديا وفيرتشيلي وماركابو. | (٣١–…) |
| وسأل دانتي أن يخبر جويدو وأنجلوليلو دا كالينيانو بأنهما سيغرقان بقرب كاتوليكا بخيانة مالاتستينو. | (٣٤–…) |
| ووصف طريقة خداعهما عند رأس فوكارا. | (٤٣–…) |
| كوريون مقطوع اللسان، وكان من أسباب إشعال الحرب الأهلية في روما. | (٥٢–…) |
| موسكا دي لامبرتي، البطل الفلورنسي المقطوع اليدين، وكان سببًا في انقسام فلورنسا إلى الجلف والجبلين. | (٦١–…) |
| رأى دانتي مشهدًا كان من شأنه أن يخيفه، لولا الضمير الذي يجعل الإنسان مطمئنًّا، ويشد من عزمه تحت درع من الإحساس بالطهر. | (٧٠–…) |
| شهد دانتي برتران دي بورن شاعر التروبادور يسير وهو يحمل رأسه بيده، ويجعل من نفسه لنفسه مصباحًا. | (٧٦–…) |
| قال إنه أثار الأب والابن أحدهما على الآخر (هنري الثاني ملك إنجلترا وابنه هنري). | (٩١–…) |
| ولذلك فهو ينال القصاص. | (١٠٠) |
الأنشودة التاسعة والعشرون: تكملة للسابقة، وتُسمَّى أنشودة المزيفين
| تأثر دانتي لعذاب الآثمين، وبكى ورغب في البقاء للمزيد من البكاء. | (١–…) |
| فرجيليو يستحثُّه على المسير لأن الوادي طويل. | (٤–…) |
| ويقول إن الوقت قصير. | (١٠–…) |
| يسير الشاعران، ويقول دانتي إنه لو عرف السبب فربما كان يمنحه من البقاء مزيدًا. | (١٣–…) |
| قال دانتي إن بداخل الكهف أحد أقربائه. | (١٦–…) |
| قال فرجيليو إنه يعرف أن هناك جيرو دل بلو، الذي أثار الدسائس في فلورنسا. | (٢٢–…) |
| قال دانتي إنه قُتل ولم ينتقم له أحد. | (٣١–…) |
| وصل الشاعران إلى الخندق أو الوادي العاشر. | (٣٧–…) |
| سمع دانتي صرخات عجيبة كأنها سهام والأسى حديدها، فغطى الأذنين بالكفين. | (٤٣–…) |
| شهد دانتي آلامًا تشبه ما حدث عند انتشار الملاريا في وادي كيانا وماريما وساردينيا. | (٤٦–…) |
| صورة انتشار الطاعون في إيجينا باليونان، ومقارنة هذا بما رآه دانتي. | (٥٨–…) |
| استلقى المزيفون في أوضاع مختلفة. | (٦٧–…) |
| أصاب الشلل بعض الآثمين. | (٧٠–…) |
| رأى دانتي اثنين استند أحدهما إلى الآخر كوعائين للتسخين، وانتشر الجرب والبرص على جسديهما. | (٧٣–…) |
| صورة الفتى الذي ينتظره سيده، أو الذي يبقى يقظان على غير رغبة، فيحمل السرج بسرعة. | (٧٦–…) |
| مقارنة هذا بإنشاب المعذبين أظفارهما في جسديهما. | (٧٩–…) |
| سقط قشر الجرب والبرص مثل زعانف الشلبة. | (٨٢–…) |
| قال أحد المعذبين إنهما من اللاتين. | (٩١–…) |
| لما عرفا أن فرجيليو يهبط مع دانتي الحي في الجحيم، انفصلا عن بعضهما من الدهشة. | (٩٤–…) |
| سألهما دانتي عن شخصيهما. | (١٠٣–…) |
| جريفولينو داريتزو، الساحر الذي زعم أنه سيعلِّم ألبرتو دا سيينا الطيران. | (١٠٩–…) |
| سأل دانتي فرجيليو هل وُجد قوم مزهوُّون كشعب سيينا. | (١٢١–…) |
| أجاب كابوكيو دا سيينا أن استريكا دي جوفاني (عمدة بولونيا) كان يعتدل في النفقات. | (١٢٤–…) |
| وكاتشا دا شانو اشتهر بالإسراف. | (١٣٠–…) |
| وكان لكابوكيو الساحر طبيعة القرد. | (١٣٩) |
الأنشودة الثلاثون: تكملة للسابقة، وتحوي مزيفي الأشخاص والكلام والنقود
| إشارة إلى يونون ابنة ساتورن وثورتها من أجل سيميلي. | (١–…) |
| وإلى أتاماس ملك أركومنوس الذي قتل ابنه ليركوس، وجعل زوجته إينو تنتحر مع ابنها الثاني. | (٤–…) |
| إشارة إلى سقوط طروادة وهيكوبا زوجة الملك بريام، التي أحسَّت الحزن لِما حل بها من الويلات. | (١٣–…) |
| إشارة إلى ربات الانتقام وقسوتهن في نهش الوحوش والبشر في طيبة وطروادة. | (٢٢–…) |
| لم يساوِ هذا كله ما رآه دانتي من شبحين عاريين جريا يُعملان النهش كالخنزير حينما ينطلق من الحظيرة. | (٢٥–…) |
| أحدهما شبح جاني اسكيكي الفلورنسي، الذي تنكَّر وزيَّف وصية لصالحه. | (٣١–…) |
| والشبح الآخر شبح ميرا، التي تنكرت في زي امرأة أخرى، وارتكبت الإثم مع أبيها سنيراس، ملك قبرص في الميتولوجيا القديمة. | (٣٧–…) |
| رأى دانتي ملعونًا مريضًا بالاستسقاء يفتح شفتيه من العطش. | (٤٩–…) |
| كان هو أدامو دا بريشا مزيِّف العملة الفلورنسية. | (٥٨–…) |
| يذكر بالحسرة نُهيرات الأرنو التي تهبط من كازينتينو. | (٦٤–…) |
| ويتكلم عن قلعة رومينا التي حمله أصحابها على تزييف عملة فلورنسا. | (٧٣–…) |
| كان يتمنى لو يستطيع الحركة ليبحث عن روح أحد الذين حملوه على تزييف عملة فلورنسا. | (٨٢–…) |
| أفاد جاني اسكيكي دانتي عن وجود زوجة فوطيفار التي اتهمت يوسف باطلًا، وسينون إغريقي طروادة الكذوب. | (٩٤–…) |
| ضرب سينون بطن أدامو. | (١٠٠–…) |
| وضرب أدامو وجه سينون. | (١٠٦–…) |
| مقارعة بين الآثمين. | (١٠٩–…) |
| يُظهِر فرجيليو غضبه لطول توقف دانتي. | (١٣٠–…) |
| تولَّى دانتي الخجلُ، وتمنى أن يكون ما رآه حلمًا لا حقيقة. | (١٣٢–…) |
| أدى دانتي اعتذاره بالصمت. | (١٣٩–…) |
| عطَف فرجيليو على دانتي، وطيَّب خاطره. | (١٤٢–١٤٨) |
الأنشودة الحادية والثلاثون: أنشودة المردة
| يذكر دانتي كيف أخجله لسان فرجيليو، ثم أزال خجله. | (١–…) |
| يشبِّه هذا برمح أخيل وأبيه الذي كان يجرح ويشفي الجروح. | (٤–…) |
| سار الشاعران بين الحلقتين الثامنة والتاسعة. | (٧–…) |
| كان الوقت بين الليل والنهار، وسمع دانتي بوقًا يدوي ويجعل الرعد خافت الصوت بالنسبة إليه. | (١٠–…) |
| لم ينفخ أورلاندو في حرب العرب بمثل هذا العنف. | (١٦–…) |
| ظن دانتي أنه رأى أبراجًا عالية. | (١٩–…) |
| قال له فرجيليو إن الحواس تنخدع بسبب الظلام وبُعد المسافة، وأخذ يده بإعزاز وأخبره أنه رأى مردة وليس أبراجًا. | (٢٢–…) |
| صورة الضباب وانقشاعه والقدرة على الإبصار. | (٣٤–…) |
| كان المردة على صورة أبراج قلعة مونتريدجوني. | (٤٠–…) |
| رأى دانتي المارد نمرود. | (٤٦–…) |
| أحسنت الطبيعة صنعًا عندما وقفت عن خلق المردة. | (٤٩–…) |
| إشارة إلى أهل فريزيا في هولندا الطِّوال الأجسام. | (٦٣–…) |
| يصرخ نمرود بصوت غير مفهوم. | (٦٧–…) |
| يُسكته فرجيليو. | (٧٠–…) |
| وقال لدانتي بأن يدعه وشأنه؛ لأنه لا سبيل إلى التفاهم معه. | (٧٦–…) |
| رأى دانتي إفيالتس المارد مقيدًا بالأغلال جزاء ثورته على جوبيتر. | (٨٢–…) |
| أبدى دانتي رغبته في رؤية المارد برياروس. | (٩٧–…) |
| قال فرجيليو إنهما سيريان المارد أنتيوس، وإن برياروس بعيد، ويبدو وجهه أكثر وحشية. | (١٠٠–…) |
| غضب إفيالتس عندما سمع أن برياروس يفوقه وحشيةً، واهتز كزلزال عنيف، فخشي دانتي أن يموت. | (١٠٦–…) |
| خاطب فرجيليو أنتيوس، وأشار إلى انتصار شيبيون على هانيبال. | (١١٥–…) |
| طلب إليه فرجيليو أن يحملهما إلى كوتشيتوس، وقال له إن دانتي يستطيع أن يُكسِبه الشهرة في الأرض. | (١٢٢–…) |
| أخذهما أنتيوس بيديه. | (١٣٠–…) |
| انحنى المارد في صورة برج كاريزيندا وهو يضعهما برفق في الحلقة التالية. | (١٣٦–…) |
| ثم رفع نفسه كسارية في سفينة. | (١٤٥) |
الأنشودة الثانية والثلاثون: أنشودة خونة الأهل والوطن والحزب السياسي
| تمنى دانتي أن تكون له القوافي اللاذعة بما يناسب الهوة البائسة. | (١–…) |
| استنجد دانتي بربات الشعر. | (١٠–…) |
| قال دانتي إنه أولى بالآثمين أن يكونوا نعاجًا أو معزًا. | (١٣–١٥) |
| وصل الشاعران إلى دائرة قابيل، أولى الدوائر في الحلقة التاسعة، حيث يُعذَّب قتلة الأقارب. | (١٦–…) |
| معذبان يحذران دانتي ألا يطأهما بقدميه. | (١٩–…) |
| وجد دانتي نفسه فوق بحيرة من الجليد أقسى من الدانوب والدون في الزمهرير القاسي. | (٢٢–…) |
| صورة الضفدع وقد أخرج خيشومه من الماء. | (٣١–…) |
| هكذا كان المعذبان منغمسين في الثلج، وأحدثا بأسنانهما صفير اللقلق. | (٣٤–…) |
| ظهر الزمهرير من الفم، وبدا أسى القلب على العينين. | (٣٧–…) |
| رأى دانتي عند موطئ قدميه معذبَين متلاصقين اختلط بينهما شعر الرأس. | (٤٠–…) |
| تقطَّر الدمع على جفونهما، فجمَّده الزمهرير وأغلق عيونهما. | (٤٦–…) |
| كانا ملتصقين في صورة رباط من حديد يقرن قطعتين من الخشب. | (٤٩–…) |
| تكلم كاميتشون دي باتزي عن إسكندر ونابليون ابنَي الكونت ألبرتو دي مانونيا، اللذين قتل أحدهما الآخر. | (٥٢–…) |
| ويقول لدانتي إنه لا يفوقهما في الإثم أحد، ولا حتى ابن الملك أرتو، ولا فوكاتشا دي بستويا. | (٥٨–…) |
| رأى دانتي أكثر من ألف وجه جعلها البرد مثل أنوف الكلاب، فأخذه الرعب. | (٧٠–…) |
| بينما كان الشاعران يسيران صوب الوسط، اصطدم قدم دانتي برأس أحد المعذبين. | (٧٣–…) |
| صاح المعذب وهو يبكي، وأخذ يسب ويلعن. | (٧٩–…) |
| يسأل دانتي المعذب عن شخصه. | (٨٥–…) |
| ولكن المعذب سأله عن شخصه هو وقد أخذ يضرب وجوه الآخرين وهو يسير في الأنتينورا (حيث يُعذَّب خونة الوطن والحزب السياسي). | (٨٨–…) |
| لا يرغب المعذب في نيل الشهرة في الدنيا، ولا يبوح باسمه. | (٩٤–…) |
| جذبه دانتي من شعر رأسه ليعرف شخصه. | (٩٧–…) |
| ناداه معذب آخر — وهو يصيح — باسمه، فعرف دانتي أنه بوكا دلي أباتي، خائن مونتأبرتي | (١٠٦–…) |
| تكلم بوكا عن بووزو دا دوفيرا وتيزاورو دي بيكيريا. | (١١٢–…) |
| وأشار إلى جاني دي سولدانييري وجانيلوني وتيبالديلو. | (١٢١–…) |
| رأى دانتي رأسين يخرجان من ثغرة واحدة. | (١٢٤–…) |
| وينهش الرأس الأعلى مؤخر الرأس الأدنى. | (١٢٧–…) |
| يستفسر دانتي عن السبب، ويَعِد صاحب الرأس الأعلى بإشاعة ذكره في الدنيا إذا عرف حقيقة الأمر. | (١٣٣–١٣٩) |
الأنشودة الثالثة والثلاثون: أنشودة خونة الوطن والأصدقاء، وتُسمَّى أنشودة أوجولينو
| صورة رهيبة للفم المفترس الملوث بالدم فوق الرأس الأدنى. | (١–…) |
| قال صاحب الرأس الأعلى إنه سيتكلم ويبكي معًا لكي يشهِّر بعدوه. | (٤–…) |
| وقال لدانتي إنه لا يعرف من هو، ولكن يكفي أن يكون فلورنسيًّا. | (١٠–…) |
| أعلن أوجولينو دلا جيراردسكا عن شخصه وغريمه رودجيري دلي أوبالديني. | (١٣–…) |
| تكلم عن الغدر به، ووقوعه في الأَسر، وحبسه في برج الجوع في بيزا. | (١٦–…) |
| عرف مرور الشهور بالقمر. | (٢٢–…) |
| وقال إنه رأى حلمًا بغيضًا يتهدده وأولاده بالخطر. | (٢٨–…) |
| صورة كلاب الصيد الضامرة المتحفزة. | (٣١–…) |
| سمع أبناءه يبكون في نومهم ويطلبون الخبز. | (٣٧–…) |
| ندد أوجولينو بقسوة دانتي؛ إذ لم يرَ عليه علائم التأثر. | (٤٠–…) |
| استيقظ الأبناء، وسمع أوجولينو صوت إغلاق البرج، فلزم الصمت ولم يبكِ، بل تحجر في باطنه. | (٤٣–…) |
| استفسر أنسلموتشو عما به، فلم يُجب أوجولينو. | (٥٠–…) |
| تبيَّن أوجولينو وجوه أبنائه، فعضَّ يديه في حركة عصبية. | (٥٥–…) |
| ظن الأبناء أنه فعل ذلك بسبب الجوع، فسألوه أن يأكل من لحمهم. | (٥٩–…) |
| كتم أوجولينو مشاعره حتى لا يجعلهم أشد حزنًا. | (٦٤–٦٦). |
| سأل جادو أوجولينو المعونة وسقط ميتًا، ومات الباقون. | (٦٧–…) |
| فقد أوجولينو بصره، وزحف فوق أبنائه، وأخذ يناديهم بأسمائهم، ثم فعل به الجوع ما لم يفعله الألم. | (٧٢–…) |
| عاد أوجولينو إلى نهش رأس رودجيري في صورة كلب ينهش قطعة عظم. | (٧٦–…) |
| لعن دانتي بيزا، وتمنى أن يُسد مصب الأرنو حتى يغرق كل أهلها. | (٧٩–…) |
| وصل الشاعران إلى منطقة بطليموس حيث يُعذَّب خونة الأصدقاء والضيوف، وكانت دموعهم تتجمد في عيونهم، فيمتنع عليهم البكاء. | (٩١–٩٩) |
| شعَر دانتي ببعض الريح، فسأل عن مصدره. | (١٠٠–…) |
| سأل ألبريجو دي مانفريدي، زعيم الجلف في فاينتزا، دانتي أن يزيل عن عينيه الثلج المتجمد. | (١٠٩–…) |
| طلب دانتي أن يفصح عن شخصه، ووعده بإزالة الثلج. | (١١٢–…) |
| أفصح عن شخصه، وقال إن روح الخونة تهبط إلى دائرة بطليموس قبل موت الجسد. | (١١٨–…) |
| رأى دانتي برانكا دوريا الجنوي. | (١٣٧–…) |
| لم يُزل دانتي الثلج عن عينَي ألبريجو، وكان من الكياسة أن يكون قاسيًا معه. | (١٤٨–…) |
| لعن دانتي شعب جنوا. | (١٥١–١٥٧) |
الأنشودة الرابعة والثلاثون: أنشودة لوتشيفيرو (إبليس)
| قال فرجيليو إن ألوية ملك الجحيم تتقدم نحوهما. | (١–…) |
| رأى دانتي ما يشبه طاحونة وسط الضباب الكثيف. | (٤–…) |
| احتمى دانتي وراء دليله خشية الريح. | (٧–…) |
| اعترى دانتي الخوفُ عندما رأى المعذبين في الثلج في أوضاع مختلفة. | (١٠–…) |
| سأله فرجيليو أن يتسلح بقوة البأس أمام ديس. | (١٩–…) |
| أصبح دانتي خائر القوى، ولم يمت ولم يبقَ حيًّا. | (٢٢–…) |
| لوتشيفيرو هائل الحجم، وظهر من الثلج بنصف صدره. | (٢٨–…) |
| كان في يوم مضى فائق الجمال، وأصبح الآن قبيح المنظر. | (٣٤–…) |
| عجب دانتي عندما رأى له ثلاثة وجوه. | (٣٧–…) |
| كان الأمامي أحمر اللون. | (٣٩–…) |
| وكان الأيمن بين البياض والصفرة، والأيسر في لون من يأتون حيث ينبع نهر النيل. | (٤٣–…) |
| وكان له أجنحة فاقت في الحجم أشرعة البحر. | (٤٦–…) |
| تجمدت مياه كوتشيتوس بتحريك أجنحته. | (٤٩–…) |
| وبكى بستِّ أعين. | (٥٣–…) |
| مضغ بأسنانه ثلاثة آثمين على طريقة دواليب الكتان. | (٥٥–…) |
| مضغ يهوذا، | (٦١–…) |
| وبروتس، | (٦٥–…) |
| وكاسيوس. | (٦٧–…) |
| احتضن دانتي عنق فرجيليو الذي هبط من شَعرة لأخرى على جسم لوتشيفيرو. | (٧٠–…) |
| وعند بلوغ الفخذ بدا لدانتي أنهما يصعدان. | (٧٦–…) |
| سأل فرجيليو دانتي أن يتعلق به جيدًا، ثم خرجا من ثغرة في صخرة. | (٨٢–…) |
| أصبح دانتي مبلبل الخاطر. | (٩١–…) |
| دعا فرجيليو دانتي إلى النهوض؛ لأن الطريق طويل والسير وعر. | (٩٤–…) |
| أخذ دانتي يستفسر عن اختفاء الثلج، ووضعِ لوتشيفيرو المقلوب، وعن ظهور الشمس. | (١٠٠–…) |
| أوضح له فرجيليو أنهما عبرا مركز الأرض، وانتقلا إلى نصف الكرة الجنوبي. | (١٠٦–…) |
| وقال فرجيليو إنه هنا يصبح النهار حينما يكون هناك مساء، وإن لوتشيفيرو لا يزال على وضعه الأول. | (١١٨–…) |
| وقال إن لوتشيفيرو سقط من السماء إلى أسفل، وانقسمت الكرة الأرضية قسمين؛ نصف يابس ونصف ماء. | (١٢١–…) |
| وأشار إلى نهر ليتي في المطهر. | (١٢٧–…) |
| تابع الشاعران المسير، وصعد فرجيليو ثم دانتي، وخرجا من ثغرة مستديرة لكي يستعيدا رؤية النجوم. | (١٣٣–١٣٩) |