ترتيب السور في مصحف الإمام أبي عبد الله
كما ذَكَرَه الشهرستاني في مقدمة تفسيره.
١ | اقرأ |
٢ | ن |
٣ | المزمل |
٤ | المدثر |
٥ | تبَّت |
٦ | كوِّرت |
٧ | الأعلى |
٨ | والليل |
٩ | والفجر |
١٠ | والضحى |
١١ | ألم نشرح |
١٢ | والعصر |
١٣ | والعاديات |
١٤ | الكوثر |
١٥ | التكاثر |
١٦ | الدين |
١٧ | الكافرون |
١٨ | الفيل |
١٩ | الفلق |
٢٠ | الناس |
٢١ | الإخلاص |
٢٢ | والنجم |
٢٣ | الأعمى |
٢٤ | القدر |
٢٥ | والشمس |
٢٦ | البروج |
٢٧ | والتين |
٢٨ | قريش |
٢٩ | القارعة |
٣٠ | القيامة |
٣١ | الهمزة |
٣٢ | المرسلات |
٣٣ | ق |
٣٤ | البلد |
٣٥ | الطارق |
٣٦ | القمر |
٣٧ | ص |
٣٨ | الأعراف |
٣٩ | الجن |
٤٠ | يس |
٤١ | الفرقان |
٤٢ | الملائكة |
٤٣ | مريم |
٤٤ | طه |
٤٥ | الواقعة |
٤٦ | الشعراء |
٤٧ | النمل |
٤٨ | القصص |
٤٩ | بني إسرائيل |
٥٠ | يونس |
٥١ | هود |
٥٢ | يوسف |
٥٣ | الحجر |
٥٤ | الأنعام |
٥٥ | الصافات |
٥٦ | لقمان |
٥٧ | سبأ |
٥٨ | الزمر |
٥٩ | المؤمن |
٦٠ | حم السجدة |
٦١ | حم عسق |
٦٢ | الزخرف |
٦٣ | الدخان |
٦٤ | الجاثية |
٦٥ | الأحقاف |
٦٦ | الذاريات |
٦٧ | الغاشية |
٦٨ | الكهف |
٦٩ | النحل |
٧٠ | نوح |
٧١ | إبراهيم |
٧٢ | الأنبياء |
٧٣ | المؤمنون |
٧٤ | الم السجدة |
٧٥ | الطور |
٧٦ | الملك |
٧٧ | الحاقة |
٧٨ | المعارج |
٧٩ | النبأ |
٨٠ | والنازعات |
٨١ | انفطرت |
٨٢ | انشقت |
٨٣ | الروم |
٨٤ | العنكبوت |
٨٥ | المطففون |
٨٦ | البقرة |
٨٧ | الأنفال |
٨٨ | آل عمران |
٨٩ | الأحزاب |
٩٠ | الممتحنة |
٩١ | النساء |
٩٢ | إذا زلزلت |
٩٣ | الحديد |
٩٤ | محمد ﷺ |
٩٥ | الرعد |
٩٦ | الرحمن |
٩٧ | الإنسان |
٩٨ | الطلاق |
٩٩ | لم يكن |
١٠٠ | الحشر |
١٠١ | النصر |
١٠٢ | النور |
١٠٣ | الحج |
١٠٤ | المنافقون |
١٠٥ | المجادلة |
١٠٦ | الحجرات |
١٠٧ | التحريم |
١٠٨ | الصف |
١٠٩ | الجمعة |
١١٠ | التغابن |
١١١ | الفتح |
١١٢ | التوبة |
١١٣ | المائدة |
اختلاف ترتيب السور في مصاحف هؤلاء الصحابة يشير إلى أن ترتيبها كان باجتهاد الصحابة والجامعين بخلاف وضع الآيات وترتيبها فإنه كان بإشارة النبي ﷺ، ثم قد ظهر من الروايات أن القرآن كُتِب بين يدي النبي ﷺ بقطع من العسب واللخاف والأكتاف وجرائد النخل، وهذه الأشياء كانت متفرقة منفصلًا بَعْضُها عن بعضها، ولم تكن كالورق أو الأديم الذي كُتِب عليه المصحف في الجمع الثاني والثالث، فلا بد أن الجامعِين وَضَعوا علامةً تُمَيِّز المقدَّم من المؤخَّر كما نحن نجعل العلامة الفاصلة بالأعداد أو بالحروف الأبجدية في هذا الزمان.
فليُعْلَم أنه ذَكَرَ محمد بن عبد الكريم الشهرستاني في مقدمة تفسيره «مفاتيح الأسرار ومصابيح الأبرار» نقلًا عن كتاب «الاستغناء» عن سعيد بن جبير، وعن يحيي بن الحرث الديناري في قوله تعالى: وَلَقَدْ آتَيْنَاكَ سَبْعًا مِنَ الْمَثَانِي، قال هي السبع الطوال: البقرة، وآل عمران، والنساء، والمائدة، والأنعام، والأعراف، ويونس، ويسمي السابعة، وفي الآية بِضَمِّ الرواية إليها دلالة واضحة أن هذه السور السبع كانت مُنَظَّمة منسَّقةَ الآيات بإرشاد النبي ﷺ حتى أُشير إليها في الآية.